पांडुरंग शास्त्री आठवले वाक्य
उच्चारण: [ paanedurenga shaasetri aathevl ]
उदाहरण वाक्य
- -पूज्य पांडुरंग शास्त्री आठवले ' पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
- इसमें पांडुरंग शास्त्री आठवले की प्रेरणा से जयश्री तलवलकर दीदी के सानिध्य में स्वाध्याय कार्य का किया गया।
- पांडुरंग शास्त्री आठवले (19 अक्टूबर, 1920-25 अक्टूबर, 2003), भारत के दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरू तथा समाज सुधारक थे।
- पांडुरंग शास्त्री आठवले (19 अक्टूबर, 1920-25 अक्टूबर, 2003), भारत के दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरू तथा समाज सुधारक थे।
- 1950 के दशक में पंडित पांडुरंग शास्त्री आठवले ने भक्ति और स्वाध्याय के जरिए समाज के समग्र विकास की अलख जगाई थी।
- सेवा क्षेत्र में बाबा आमटे, अन्ना हजारे, पांडुरंग शास्त्री आठवले, अभय बंग तो उद्योग क्षेत्र में नंदन निलेकणी, किरण मजुमदार जैसे अनेक उदाहरण याद आते हैं.
- पांडुरंग शास्त्री आठवले याद हैं आपको? महाराष्ट्र का यह संत जब गीता पर प्रवचन दिया करता था, तो हजारों लोग आंखें बंद कर उसकी वाणी को आत्मसात करने में जुटे दिखते थे।
- इससे पहले आचार्य विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण, बाबा आमटे, पांडुरंग शास्त्री आठवले, सत्यजीत रे, टी. एन. शेषण, जलक्रांती के राजेंद्रसिंह, दूध क्रांती के वर्गीस कुरियन, अरविंद केजरीवाल आदि के नाम प्रमुख है।
- -पूज्य पांडुरंग शास्त्री आठवले कृष्णपक्ष की अष्टमी के चंद्र की तरह एक पैर पर खड़े होकर, एक पैर टेढ़ा रखकर, शरीर को कमनीय मोड़ देकर इस मुरलीधर ने जिस दिन संसार में प्रथम बार प्राण फूंका, वह दिन इतिहास में अमर हो गया।
- पांडुरंग शास्त्री आठवले को गुजरात और महाराष्ट्र ने जितने नजदीक से जाना है, भारत के अन्य प्रांतों ने नहीं जाना लेकिन वे ऐसे महापुरुष थे, जिन्हें भारत ही नहीं, सारे संसार को जानना चाहिए था| पिछले पचास वर्षों में उन्होंने खास तौर से गुजरात और महाराष्ट्र में जैसा सामाजिक [...]
अधिक: आगे